पुरानी दीवारों को जब देखता हूँ, कुछ नक़्शे उभर कर आते हैं!
कहीं हाथी कहीं घोड़े कहीं पंछी बन नजर आते हैं
ये सीलन ये पपड़ियाँ दीवारों पर जैसे ज़िन्दगी के मायने सिखाते हैं
जैसे ये कहते हैं हम से, बदल दो अब इन् दीवारों के खुशियों का रंग !
ये टूटती हुई पपड़ियाँ शायद ऐसा ही कुछ बताते हैं
इन् हाथी, घोड़े, पंछियों की तस्वीर तुम दिल में बसाये रखना !
और नेरोलक के रंग से दीवारों की खुशियाँ यूँही बनाये रखना
नेरोलक- रंग, खुशियों के !
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