ऐसा क्यूँ ?
कभी कभी हम दूसरों से खुशियाँ क्यूँ चाहते हैं जब की हमे खुद खुश रहना भी आता है
कभी कभी दूसरों को हसाना ही क्यूँ अच्छा लगता है जब की हमे भी कोई गुदगुदा सकता है |
कभी दूसरों का हाथ पकड़ना ही क्यूँ अच्छा लगता है जब की तुम्हारा हाथ भी कोई थाम सकता है
कभी कभी दूसरों की परेशानी समझना ही क्यूँ अच्छा लगता है जब की तुम्हे भी कोई समझ सकता है |
कभी किसी के साथ चलना ही क्यूँ अच्छा लगता है जब की हमे अकेले चलना भी आता है
मैंने देखा है ऐसे कितने लोगों को वो शायद इसलिए ऐसा करते हैं क्यूँ की उन्हें छुपाना आता है |
कभी कभी हम दूसरों से खुशियाँ क्यूँ चाहते हैं जब की हमे खुद खुश रहना भी आता है
कभी कभी दूसरों को हसाना ही क्यूँ अच्छा लगता है जब की हमे भी कोई गुदगुदा सकता है |
कभी दूसरों का हाथ पकड़ना ही क्यूँ अच्छा लगता है जब की तुम्हारा हाथ भी कोई थाम सकता है
कभी कभी दूसरों की परेशानी समझना ही क्यूँ अच्छा लगता है जब की तुम्हे भी कोई समझ सकता है |
कभी किसी के साथ चलना ही क्यूँ अच्छा लगता है जब की हमे अकेले चलना भी आता है
मैंने देखा है ऐसे कितने लोगों को वो शायद इसलिए ऐसा करते हैं क्यूँ की उन्हें छुपाना आता है |